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क्यों होते हैं बुजुर्गों को कैंसर जानें 7 चौंकाने वाले कारण!

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कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो आजकल बहुत सामान्य हो चुकी है, और यह हर उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि बुजुर्ग लोगों में कैंसर के मामले क्यों अधिक देखने को मिलते हैं? इस ब्लॉग में हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर क्यों ज्यादातर बुजुर्गों को कैंसर होता है और इसके पीछे कौन-कौन से कारक हैं। सरल और आसान भाषा में हम समझेंगे कि उम्र के साथ शरीर में होने वाले बदलाव, जीवनशैली, आनुवंशिकी और स्वास्थ्य संबंधी लापरवाही कैसे कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं।

 

1. उम्र के साथ शरीर में बदलाव (Aging and Cellular Changes)

जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारे शरीर में भी कई महत्वपूर्ण बदलाव आते हैं। यह प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन इसके साथ कुछ जोखिम भी जुड़े होते हैं। उम्र बढ़ने के साथ शरीर की कोशिकाएं अपनी क्षमता खोने लगती हैं और वे धीरे-धीरे कमजोर हो जाती हैं।

हमारे शरीर की कोशिकाएं निरंतर विभाजित होती रहती हैं। यह विभाजन तब तक सामान्य रहता है, जब तक कि कोशिकाएं ठीक से काम कर रही होती हैं। लेकिन उम्र बढ़ने के साथ कोशिकाओं के डीएनए में म्यूटेशन (परिवर्तन) होने लगते हैं। म्यूटेशन तब होता है जब डीएनए में बदलाव आ जाते हैं, जो कोशिकाओं को असामान्य रूप से बढ़ने या विभाजित होने का कारण बनता है। यही असामान्य विभाजन कैंसर की नींव रखता है। यही कारण है कि बुजुर्ग लोग, जिनकी कोशिकाएं पहले से ही उम्र के कारण कमजोर होती हैं, कैंसर के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।

 

2. आनुवंशिकी का प्रभाव (Genetic Influence)

कैंसर का एक प्रमुख कारण हमारी जीन में छुपा होता है। अगर आपके परिवार में किसी को पहले कैंसर हो चुका है, तो आपके भी कैंसर होने का जोखिम बढ़ सकता है। कुछ विशेष प्रकार के कैंसर, जैसे ब्रेस्ट कैंसर या कोलोन कैंसर, आनुवंशिक होते हैं। इसका मतलब है कि अगर किसी व्यक्ति के जीन में पहले से ही कैंसर की प्रवृत्ति मौजूद है, तो उसके उम्र बढ़ने के साथ कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है।

उम्र बढ़ने पर जीन में उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) की दर अधिक हो जाती है। डीएनए के ये म्यूटेशन, विशेष रूप से उन जीनों में जो कोशिका विभाजन और वृद्धि को नियंत्रित करते हैं, कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं। यही कारण है कि बुजुर्ग लोगों में कैंसर अधिक सामान्य होता है क्योंकि उम्र के साथ डीएनए म्यूटेशन की संभावना बढ़ जाती है।

 

3. पर्यावरणीय कारक (Environmental Factors)

पर्यावरण भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बुजुर्ग लोग अपने जीवनकाल में कई तरह के हानिकारक पदार्थों के संपर्क में आते हैं। इनमें से सबसे प्रमुख हैं धूम्रपान, शराब का सेवन, प्रदूषण, और अन्य रसायनों का संपर्क। ये सभी पर्यावरणीय कारक समय के साथ शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।

धूम्रपान का सबसे सीधा संबंध लंग कैंसर से है। अगर कोई व्यक्ति कई वर्षों तक धूम्रपान करता है, तो उसके लंग कैंसर होने का खतरा बहुत बढ़ जाता है। इसी तरह, प्रदूषण या हानिकारक रसायनों के संपर्क में रहना भी कई तरह के कैंसरों का कारण बन सकता है। चूंकि बुजुर्ग लोग इन कारकों के साथ अधिक वर्षों तक जीवन जीते हैं, उनके लिए कैंसर होने का खतरा अधिक हो जाता है।

 

4. कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली (Weakened Immune System)

जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली भी कमजोर हो जाती है। प्रतिरक्षा प्रणाली का मुख्य काम शरीर को बीमारियों और संक्रमणों से बचाना है। लेकिन जब यह कमजोर हो जाती है, तो शरीर में कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और उन्हें नष्ट करने की क्षमता भी घट जाती है।

प्रतिरक्षा प्रणाली की इस कमजोरी के कारण कैंसर कोशिकाओं को शरीर में पनपने और बढ़ने का मौका मिल जाता है। यही कारण है कि बुजुर्ग लोग, जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली पहले से ही कमजोर हो जाती है, कैंसर के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।

 

5. स्वास्थ्य देखभाल में लापरवाही (Neglecting Health Care)

कई बुजुर्ग लोग अपनी सेहत को लेकर लापरवाह होते हैं। वे समय-समय पर डॉक्टर से चेक-अप नहीं करवाते, जिससे उनके शरीर में होने वाले बदलावों का समय पर पता नहीं चलता। कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो अगर समय पर पहचान ली जाए, तो इसका इलाज आसान हो सकता है। लेकिन अक्सर बुजुर्ग लोग अपनी सेहत को नज़रअंदाज करते हैं, जिससे बीमारी बढ़ जाती है और कैंसर के लक्षण गंभीर हो जाते हैं।

नियमित चेक-अप और स्क्रीनिंग बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, खासकर बुजुर्ग लोगों के लिए। अगर कैंसर की जांच समय पर करवाई जाए, तो इसका इलाज जल्दी शुरू हो सकता है, जिससे बीमारी के गंभीर परिणामों से बचा जा सकता है।

 

6. मानसिक स्वास्थ्य का महत्व (Mental Health Matters)

मानसिक स्वास्थ्य भी कैंसर के खतरे को प्रभावित कर सकता है। तनाव, चिंता, और अवसाद का सीधा असर हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली पर पड़ता है। अगर किसी बुजुर्ग व्यक्ति को लंबे समय से मानसिक तनाव है, तो उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है, जिससे शरीर कैंसर के खिलाफ लड़ने में कमजोर हो जाता है।

ध्यान और योग जैसी मानसिक स्वास्थ्य सुधारने वाली गतिविधियाँ बुजुर्गों के लिए बेहद लाभकारी हो सकती हैं। ये न केवल मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद करती हैं, बल्कि प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत करती हैं।

 

7. अस्वस्थ जीवनशैली (Unhealthy Lifestyle)

बुजुर्ग लोगों में अस्वस्थ जीवनशैली भी एक बड़ा कारण हो सकता है। असंतुलित आहार, शारीरिक गतिविधियों की कमी, और अधिक वजन जैसी समस्याएं कैंसर के खतरे को बढ़ाती हैं। जब शरीर को आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिलते, तो यह उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली और कोशिकाओं पर नकारात्मक असर डालता है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।

संतुलित आहार और नियमित व्यायाम कैंसर से बचाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बुजुर्ग लोगों को अपने आहार में अधिक फल, सब्जियां, और साबुत अनाज शामिल करने चाहिए, साथ ही रोजाना थोड़ी बहुत शारीरिक गतिविधि भी करनी चाहिए।

 

8. निष्कर्ष (Conclusion)
 

कैंसर एक गंभीर बीमारी है, लेकिन इससे बचाव के कई उपाय हैं। उम्र बढ़ने के साथ कैंसर का खतरा बढ़ सकता है, लेकिन इसे नियंत्रित करने के तरीके भी मौजूद हैं। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान, और समय-समय पर चेक-अप करवा कर बुजुर्ग लोग कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं।

 

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