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Crimean Congo Hemorrhagic Fever : लक्षण, कारण और और सही समय पर टेस्ट कराने की जरूरत अवश्य पढ़ें!

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Crimean Congo Hemorrhagic Fever : कॉंगो बुखार, जिसे क्राइमियन-कांगो हेमरेजिक फीवर (CCHF) के नाम से भी जाना जाता है, एक गंभीर वायरल बीमारी है। यह बुखार क्राइमियन-कांगो हेमरेजिक फीवर वायरस (CCHFV) के कारण होता है। यह वायरस मुख्य रूप से टिक के काटने से फैलता है, और कभी-कभी संक्रमित जानवरों या मानव संपर्क के माध्यम से भी। कॉंगो बुखार का संक्रमण कई देशों में पाया गया है, लेकिन यह विशेष रूप से अफ्रीका, मध्य पूर्व और एशिया में एक चिंता का विषय है। भारत में भी इसके कुछ मामले सामने आए हैं।

 

कॉंगो बुखार के लक्षण (Congo Fever Symptoms)
 

कॉंगो बुखार के लक्षण वायरस के संपर्क में आने के 1 से 3 दिन के भीतर दिखाई देने लगते हैं। प्रारंभ में, यह लक्षण आम वायरल बुखार जैसे दिखते हैं, जिससे सही पहचान करना मुश्किल हो जाता है। कॉंगो बुखार के प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं:

उच्च बुखार: अचानक बुखार का आना, जो 38 से 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच सकता है।


गंभीर सिरदर्द: सिर में तेज दर्द होना।


पेशियों में दर्द: शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द।


थकान और कमजोरी: व्यक्ति को अत्यधिक थकान महसूस होना।


मतली और उल्टी: कुछ लोगों को पेट में हलचल या उल्टी की समस्या हो सकती है।


दस्त: गंभीर दस्त और पेट में दर्द भी हो सकता है।


खून बहने के लक्षण: जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, मरीजों में मसूड़ों से खून, नाक से खून, या आंतरिक रक्तस्राव हो सकता है।

 

कॉंगो बुखार का कारण (Causes of congo fever)
 

कॉंगो बुखार का मुख्य कारण क्राइमियन-कांगो हेमरेजिक फीवर वायरस (CCHFV) है। यह वायरस मुख्य रूप से टिक के माध्यम से फैलता है, विशेषकर उन टिकों के द्वारा जो जानवरों, खासकर बकरियों, भेड़ों, और गायों पर पाए जाते हैं। यदि कोई व्यक्ति संक्रमित टिक को अपने शरीर पर पाता है या संक्रमित जानवरों के खून या ऊतकों के संपर्क में आता है, तो वायरस उसके शरीर में प्रवेश कर सकता है।

इसके अलावा, वायरस संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आने से भी फैल सकता है, खासकर जब वे खून, मूत्र, या अन्य शारीरिक तरल पदार्थों के संपर्क में आते हैं।

 

भारत में कॉंगो बुखार(Congo Fever In India)
 

भारत में कॉंगो बुखार का प्रकोप हमेशा चिंता का विषय रहा है। यहां के कुछ क्षेत्रों में, खासकर जहां पशुपालन होता है, कॉंगो बुखार के मामलों की रिपोर्ट की गई है। भारत में पहली बार कॉंगो बुखार का मामला 2011 में देखा गया था। इसके बाद कुछ अन्य मामलों की भी जानकारी मिली है।

 

हाल के मामले
 

हाल के वर्षों में, भारत में कॉंगो बुखार के कुछ मामलों की रिपोर्ट की गई है। विशेषकर मानसून के मौसम में, जब टिक की जनसंख्या बढ़ जाती है, तब यह बीमारी अधिक फैलने की संभावना होती है। स्वास्थ्य विभाग इन मामलों की निरंतर निगरानी कर रहा है, और जब भी कोई नया मामला सामने आता है, तो उचित कदम उठाए जाते हैं।

 

कॉंगो बुखार से बचाव के उपाय
 

कॉंगो बुखार से बचने के लिए कुछ सरल और प्रभावी उपाय किए जा सकते हैं:

जब आप पशुपालन वाले क्षेत्रों में जाएं, तो लंबी आस्तीन वाले कपड़े और लंबी पैंट पहनें।
घर पर और बाहर खेलते समय बच्चों की त्वचा पर टिक की नियमित जांच करें।
संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से बचें।
अपने आसपास स्वच्छता बनाए रखें और किसी भी संदिग्ध स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
 

बच्चों में बचाव

बच्चों के लिए कॉंगो बुखार से बचाव के उपाय बहुत महत्वपूर्ण हैं। उन्हें विशेष रूप से टिक के संपर्क में आने से बचाना चाहिए। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:

बच्चों को टिक-प्रवण क्षेत्रों में जाने पर लंबे कपड़े पहनने के लिए कहें।
बच्चों को टिक और संक्रमित जानवरों के बारे में शिक्षित करें ताकि वे खुद को सुरक्षित रख सकें।
 

परीक्षण और उपचार

यदि आपको या आपके किसी प्रियजन को कॉंगो बुखार के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत चिकित्सा सहायता प्राप्त करना आवश्यक है। मार्वल पैथ लैब में, आप कॉंगो बुखार के लिए सटीक और तेज परीक्षण करा सकते हैं। हमारी पेशेवर टीम और उन्नत तकनीकें आपको सही निदान और उपचार में मदद करेंगी।

 

टेस्ट बुक करें

यदि आपको कॉंगो बुखार के लक्षण महसूस होते हैं, तो आप तुरंत मार्वल पैथ लैब पर संपर्क कर सकते हैं। हमारी टीम आपकी मदद के लिए हमेशा तैयार है। आप हमारे संपर्क नंबर 8222999888 पर कॉल करके एक अपॉइंटमेंट बुक कर सकते हैं।

 

निष्कर्ष

कॉंगो बुखार एक गंभीर वायरल बीमारी है जो गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है। भारत में इसके मामले दुर्लभ हैं, लेकिन जागरूकता और निवारक उपायों का पालन करना महत्वपूर्ण है। लक्षणों को समझना शुरुआती पहचान और उपचार में मदद कर सकता है। कॉंगो बुखार से सुरक्षित रहना हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है, और नियमित परीक्षण कराने से स्वास्थ्य पर ध्यान देना संभव है।

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